इश्क़ मोहब्बत प्यार शायरी हिंदी में | Ishq Mohabbat Shayari in Hindi
Ishq Mohabbat Shayari in Hindi
तेरे एहसास की खुशबू रग रग में समायी है,
अब तू ही बता क्या इसकी भी कोई दवाई है।
मोहब्बत एक खुशबु है, हमेशा साथ रहती है,
कोई इंसान तन्हाई में भी कभी तनहा नहीं रहता।
मोहब्बत मे कभी कोई जबरदस्ती नही होती,
जब तुम्हारा जी चाहे तुम बस मेरे हो जाना।
मोहब्बत तो की थी हमने लेकिन,
यह सोच कर भुला दिया कि,
अभी घर की जिम्मेदारी बहुत है।
जो जीने की वजह है तेरा इश्क़,
जो जीने नहीं देता वो भी है तेरा इश्क़।
सजदे दिल के तराने बहुत हैं,
ज़िंदगी जीने के बहाने बहुत हैं,
आप सदा मुस्कुराते रहना,
आपकी मुस्कुराहट के दीवाने बहुत हैं।
हम इश्क़ के उस मुकाम पे खड़े हैं
जहाँ दिल किसी और को चाहे तो गुनाह लगता है।
पहली मोहबत के लिए दिल जिसे चुनता है,
वो अपना हो न हो दिल पर राज़ उसी का रहता है।
ज़िन्दगी में किसी का साथ काफी है,
हाथों में किसी का हाथ काफी है,
दूर हो या पास फर्क नहीं पड़ता,
प्यार का तो बस अहसास ही काफी है।
तेरे ख्याल में जहा अकेले में वक़्त गुज़रता है
उस जगह से भी हम मोह्ब्बत कर लेते है।
मोहब्बत दो दिलो का खेल
है या तो दोनों ही हारते है
या फिर दोनों ही जीतते है।
हमारी चाहत तो एक शक़्स पर ख़त्म हो जाती है
उन्हीं से मोह्ब्बत हो जाती है और उन्ही से नफ़रत हो जाती है।
वो भले ही हमसे कितनी भी नफ़रत करें
पर क़िसी औऱ से मोह्ब्बत ना करे।
तुम हमारी जान हो ज़हान हो
मोह्ब्बत का पूरा आसमान हो।
उन्होनें हम पर मोह्ब्बत की बाऱिश कर दी
चाहें दिन हो या रात मिलने की ग़ुज़ारिश कर दी।
मोह्ब्बत में कोई कमी हो तो हमसे रूठ जाना
यु बेवज़ह रूठ कर क्यू तुम हमें तक़लीफ़ देते हो।
हमें इश्क़ के बारे में मालूम न था
तुमनें एह्सास कराया तो ज़िन्दगी
हमारी मोह्ब्बत बन गई।
इश्क़ मोहब्बत प्यार शायरी हिंदी में
क्या सबूत दूँ तुझे मोह्ब्बत का बस इतना जाने ले
दिल में जो घर बनाया था उसे तेरे नाम कर दिया है।
मोह्ब्बत कैसे शुरू होती है पता नहीं
मगर मोह्ब्बत ख़त्म या तो उनकी ज़िद से होगी
या फ़िर हमारी आख़री सांस पर।
तेरी हर तकलीफ़ हर दर्द मुझें कबूल है
क्या मेरी मोह्ब्बत तुझे कबूल है।
पहली मोहब्बत के लिए दिल जितना बेक़रार रहता है
उतना वो शायद किसी और के लिए ना हो।
आज कल तुम सपनोँ में बोहोत आ रही हो
लगता है मोह्ब्बत का सुरूर ज़्यादा हो गया है।
लोग समझतें है मैं तन्हा हु मगऱ उन्हें ये
कौन समझाएं की तन्हाई को मुझसें मोह्ब्बत है।
बस ज़िक्र कर देने से मोह्ब्बत नहीं होती
बाहों में लेकर थोड़ा वक़्त भी बीतना होता है।
हम तो हमारी मंजिल की और जा रहे थे
रस्ते में मोह्ब्बत से ठोकर लगी और हम नीचे गिर गए।
चहरे पर ख़ामोशी और आंखो में उजाला था
उनकी इज़हारे ए मोह्ब्बत का अन्दाज़ भी निराला था।
दिल की साऱी हसरत दिल में रह जाती है
कुछ मोह्ब्बत की दांस्तां अधूरी रह जाती है।
कभी ये दुआ कि उसे मिलें जहाँ की खुशियाँ,
कभी ये खौफ कि वो खुश मेरे बगैर तो नहीं।
रास्ता ऐसा भी दुशवार न था,
बस उसको हमारी चाहत पे ऐतबार न था,
वो चल न सकी हमारे साथ वरना,
हमे तो जान देने से भी इनकार न था
तेरे हसीन तस्सवुर का आसरा लेकर,
दुखों के काँटे में सारे समेट लेता हूँ,
तुम्हारा नाम ही काफी है राहत-ए-जान को,
जिससे ग़मों की तेज़ हवाओं को मोड़ देता हूँ।
तेरी मोह्ब्बत कितनी सच्ची है मालूम नहीं
मग़र लोग मुझे तेरी कसम देकर मना लेते है।
मोहब्बत कब और कहा हो जाए अन्दाज़ा नहीं होता
ये वो मक़ान है जिसका दरवाज़ा नहीं होता।
राज़ खोल देते हैं नाजुक से इशारे अक्सर,
कितनी खामोश मोहब्बत की जुबान होती है।
मुझ में लगता है कि मुझ से ज्यादा है वो,
खुद से बढ़ कर मुझे रहती है जरुरत उसकी।
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