बारिश पर शायरी हिंदी में | Rain Shayari in Hindi
बारिश पर शायरी हिंदी में: बारिश, प्रकृति का एक खास तोहफा है, जो हमें हर बार नये और ताजा अंदाज में मिलता है। बारिश का मौसम एक ऐसा मौसम है जो हर किसी को पसंद है जिसकी बूँदें मन को तारों ताज़ा कर नया उत्साह भर देती है। यह वर्षा की बूँदों का खेल है, जो सूखी ज़मीन को जीवन की नयी उम्मीद देती है और वातावरण को सुहाना बनाती है। इस लेख में, आपको बारिश की शायरी और स्टेटस मिलने वाले हैं जो आप बारिश के दिन इस्तेमाल कर पाओगे।
Rain Shayari in Hindi
कहीं फिसल न जाऊं तेरे ख्यालों में चलते चलते,
अपनी यादों को रोको मेरे शहर में बारिश हो रही है।
अगर भीगने का इतना ही शौक है,
बारिश मे तो देखो ना मेरी आँखों मे,
बारिश तो हर एक के लिए होती है,
लेकिन ये आँखें सिर्फ तुम्हारे लिए बरसती है ।
पहली बारिश का नशा ही,
कुछ अलग होता है,
पलको को छूते ही,
सीधा दिल पे असर होता है।
पहले बारिश होती थी तो याद आते थे,
अब याद आते हो तो बारिश होती है
अबके बारिश में तो ये कार-ए-ज़ियाँ होना ही था
अपनी कच्ची बस्तियों को बे-निशाँ होना ही था।
बादलों को आता देख के मुस्कुरा लिया होगा,
कुछ न कुछ मस्ती में गुनगुना लिया होगा,
ऊपर वाले का शुक्र अदा किया बारिश के होने से,
के इस बहाने तुमने नहा लिया होगा।
बारिश के पानी को अपने हाथों में समेट लो,
जितना आप समेट पाये उतना आप हमें चाहते है,
और जितना न समेट पाए उतना हम आप को चाहते है
ऐ बादल इतना न बरस की नफ़रतें धूल जाएँ,
इंसानियत तरस गयी है प्यार पाने के लिए।
पहली बारिश के बाद मिट्टी की
खुशबू की बात ही कुछ और होती है।
भीगता हूं मैं बारिश में आँसूओ को छिपाने के खातिर,
कहिं गर तूने देख लिया तो जलजला आ जाएगा।
ए आसमान अब तू ही बरस जा,
धोदे नफ़रतों को अब तू हि भगवान बन जा।
इश्क की बारिश में ताउम्र हम खुद भीगते रहे
तेरी याद में कभी रोते रहे तो कभी हंसते रहे
जुल्फें जो उनकी खुल गई लगता है सावन आ गया
अब कौन रोकेगा घटाओ को घूमने से लगता है बारिश का मौसम आ गया!
तू मुझसे मेरी इश्क़ की इंतहा ना पूछ,
मेरे आंसू तुम्हें सैलाब बन कर बहा ले जायेंगे।
आँखों में अपने समंदर समेटा हूँ,
ऐ बादल तू मुझ पर मत बरस।
बारिश और किसी की याद ज्यादा आ जाए
तो सैलाब आता है, एक में बूंदों का दूसरों में आसुंओं का।
बारिश पर शायरी हिंदी में
पहले बारिश होती थी तो याद आते थे
अब जब याद आते हो तो बारिश होती है
उनके मिलन से महक उठी थी फ़िज़ाएँ
सौंधी खुशबू ने बारिश की थी ना मिट्टी की
मोहब्बत तो वो बारिश है जिसे छूने की चाहत मैं
हथेलियां तो गीली हो जाती है पर हाथ खाली ही रह जाते है
ग़म-ए-बारिशे इसीलिए नही कि तुम चले गए
बल्कि इसलिए कि हम ख़ुद को भूल गए
ए बारिश कहीं और जाके बरसा कर
मेरा दिल बहुत कमजोर है बात बात पर रोया करता है
जरा ठहरो की बारिश हे यह थम जाये तो फिर जाना
किसी का तुम को छू लेना मुझे अच्छा नहीं लगता
मौसम का कुछ ऐसा खुमार है
मन करता चीख कर कह दू
हमको तुमसे बहुत प्यार है
ख्वाहिशें तो थी तेरे संग बारिश में भीगने की
पर ग़मों के बादल कभी छाते ही नहीं
किया न करो मुझसे इश्क़ की बातें
बिन बारिश के ही भीग जाती हैं रातें
जिसके आने से मेरे ज़ख्म भरा करते थे
अब वो मौसम मेरे ज़ख्मो को हरा करते हैं
ये रात क्यों गुजरती नहीं,
अब ये तेरी याद मुझे क्यों सताती नहीं,
और ऊपर से ये बरसात क्यों जाती नहीं।
वो मेरे रु-बा-रु आया भी तो बरसात के मौसम में,
मेरे आँसू बह रहे थे और वो बरसात समझ बैठा।
कहीं फिसल न जाओ जरा संभल के चलना,
मौसम बारिस का भी है और मोहब्बत का भी।
बारिशों से अदब-ए-मोहब्बत सीखो फ़राज़,
अगर ये रूठ भी जाएँ, तो बरसती बहुत हैं।
सुना है बारिश में दुआ कुबूल होती है,
अगर इजाजत हो तो मांग लू तुम्हे।
रोई है किसी छत पर अकेले ही ने घुटकर,
उतरी जो लबों पर नमकीन थी बारिश।
रुकती है चलती है,
कभी बरसती है
बादल पे पाव रख के,
बारिश मचलती है।
आपसे इतनी सी गुजारिश है,
आईये भीग ले की बारिश में
हमने कब आपसे कहा मिलिए,
सिर्फ मौसम कि ये सिफारिश है।
जब जब गरजते है ये बादल
मेरे दिल की धड़कन बढ़ जाती है
ओर मेरे दिल की हर एक धड़कन से
बस तुम्हारी आवाज आती है।
ऐ बारिश जरा थम के बरस
जब मेरा यार आ जाए तो जम के बरस
पहले ना बरस की वोह जा ना सके
फिर इतना बरस कि को जा ना सके।
सावन की बारिश भी शरमा जाए,
तेरी यादों में मैंने जितने आंसुओं के सैलाब बहाये है।
इन्हे देखना न भूलें
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